Monday, April 18, 2011

हजारे जी के आन्दोलन

जब कोई किसी नेक कार्य की अगुआई करता है तो उसे बिभिन्न स्तिथियों से गुजरना पड़ता है ! कुछ लोगों को उचित स्थान नहीं मिल पता, तो किसी को उसमे किसी अमुक के होने पर नाराजगी होती है ! इसी का परिणाम उसका विरोध करना होता है ! ऐसा ही कुछ हजारे जी के आन्दोलन के साथ हो रहा है जो ठीक नहीं है ! इसे सिविल सोसाइटी में कुछ बदलाव करके इसका दायरा भी बढ़ाया जा सकता है और विरोध भी कम किया जा सकता है ! मै सिविल सोसाइटी को एक सुझाव देना चाहता हूँ की वो एक कोर कमेटी बनाए जिसमे बिभिन्न क्षेत्र के लोग हो या बिभिन्न राज्य के लोग हो, वो अपने विचारों को सिविल सोसाइटी के समक्ष रखे और सिविल सोसाइटी इसे ड्राफ्टिंग कमेटी में ! इससे लोगों की भागीदारी भी बढ़ जायेगी कुछ और बेहतर करने मौका भी बढेगा साथ ही लोगों का बिरोध भी कम होगा !