Saturday, March 26, 2011

अफसाने

(1)
ज़िन्दगी जी लिया तुमने बहुत तो
अब जिंदा क्यूँ हो ...
अभी तो मेरी हज़ारों ख्वाईसे बाकि है
कुछ तेरे लिए मेरे लिए...
अभी बोलना सिखा है मैंने तो
तुम खामोश क्यूँ हो ....
कल साथ - साथ चलेंगे इस ज़हां में
कुछ तेरे लिए मेरे लिए...
(2)
एक अंजानी आहट ने रोक दिया सफ़र मेरा,
वर्ना हम भी चले थे उन्हें रिझाने को :
आज हम आदमी बन गए काम के इस ज़माने में,
वरना मेरा भी आज राह होता मैखाने को !
(3)
हम अकेले है तो क्या गम है,
सफ़र में हूँ , कोई तो साथ आएगा !
जीवन की डोर तो बहुत लम्बी है,
कभी कोई तो आवाज़ लगाएगा !!

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