बहुत दिन नहीं हुए ! कुछ दिन पहले मै अपने कार्य के सिलसले में एक अस्पताल गया था ! वहां अक्सर जाता हूँ मेरे द्वारा वहा पर निर्माण का कार्य कराया जा रहा है ! रविवार का दिन था वहां पर काफी लोग इकठ्ठा थे ! मै लोगों को देख कर वहा चला गया तो देखा एक आदमी का पैर कटा हुआ है और सर पर भी चोट लगी है ! डाक्टर ने ड्रेसिंग कर दी थी और दवाए दी जा रही थी ! मैंने डाक्टर से पूछा तो उन्होंने बताया कि ट्रेन में चढ़ते समय गिर कर उसके नीचे आ गया था ! घंटो ट्रेक पर पड़ा था लोग देख रहे थे कोई १०० कदम इस अस्पताल पर नहीं लाया और इतनी ही दूर स्टेशन से जीआरपी भी धंटों बाद आयी खैर वही इसे अस्पताल लायी ! वह भी इसे छोड़ कर चलता बनी !
वह आदमी अपना नाम पता सब कुछ बता रहा था और यह भी कि वह बहूत गरीब है शहर में मजदूरी करता है ! घर दूर था कोई मोबाइल नंबर या संचार सुबिधा उसके घरवालों के पास नहीं था कि उन्हें खबर किया जा सके ! उसकी हालत ख़राब हो रही थी डाक्टर ने उसे ट्रामा सेंटर भिजवा दिया ! मैंने फिर डाक्टर से पूछा कि क्या इसका पैर ठीक हो जायेगा तो उन्होंने बताया अगर ये अमीर घर का होगा तो माइक्रो सर्जरी करा कर ठीक हो सकता है वर्ना ए बिकलांग ही रहेगा !
उसकी हालत ही उसके हालात को बयान कर रहे थे ....... हमें उसके भविष्य कि स्तिथि दिखाई दे रही थी ! मन ही मन सोच रहा था काश वों गरीब ना हो ........ क्योकि गरीब होना ही किसी सजा से कम नहीं !