Saturday, February 26, 2011

गरीबी

बहुत दिन नहीं हुए ! कुछ दिन पहले मै अपने कार्य के सिलसले में एक अस्पताल गया था ! वहां अक्सर जाता हूँ मेरे द्वारा वहा पर निर्माण का कार्य कराया जा रहा है ! रविवार का दिन था वहां पर काफी लोग इकठ्ठा थे ! मै लोगों को देख कर वहा चला गया तो देखा एक आदमी का पैर कटा हुआ है और सर पर भी चोट लगी है ! डाक्टर ने ड्रेसिंग कर दी थी और दवाए दी जा रही थी ! मैंने डाक्टर से पूछा तो उन्होंने बताया कि ट्रेन में चढ़ते समय गिर कर उसके नीचे आ गया था ! घंटो ट्रेक पर पड़ा था लोग देख रहे थे कोई १०० कदम इस अस्पताल पर नहीं लाया और इतनी ही दूर स्टेशन से जीआरपी भी धंटों बाद आयी खैर वही इसे अस्पताल लायी ! वह भी इसे छोड़ कर चलता बनी !
वह आदमी अपना नाम पता सब कुछ बता रहा था और यह भी कि वह बहूत गरीब है शहर में मजदूरी करता है ! घर दूर था कोई मोबाइल नंबर या संचार सुबिधा उसके घरवालों के पास नहीं था कि उन्हें खबर किया जा सके ! उसकी हालत ख़राब हो रही थी डाक्टर ने उसे ट्रामा सेंटर भिजवा दिया ! मैंने फिर डाक्टर से पूछा कि क्या इसका पैर ठीक हो जायेगा तो उन्होंने बताया अगर ये अमीर घर का होगा तो माइक्रो सर्जरी करा कर ठीक हो सकता है वर्ना ए बिकलांग ही रहेगा !
उसकी हालत ही उसके हालात को बयान कर रहे थे ....... हमें उसके भविष्य कि स्तिथि दिखाई दे रही थी ! मन ही मन सोच रहा था काश वों गरीब ना हो ........ क्योकि गरीब होना ही किसी सजा से कम नहीं !

अल्पजन हिताय बहुजन दुखाय....

ऐसा ही कुछ हाल है उत्तर प्रदेश सरकार का ! हाई कोर्ट ने अपने फैसले में साफ कह दिया हाई कि सरकारी नौकरियों के प्रोन्नति में परिणामी जेष्ठता का कोई मतलब नहीं है फिर भी सरकार पिछड़ों और सामान्य वर्ग के लोगों के साथ उनके हितो का दुराचार कर रही है ! जब कि अनुसूचित जाति के लिए सरकारी नौकरियों में भर्ती से लेकर प्रोन्नति तक कोटा निर्धारित है फिर भी इस संवर्ग को अतिरिक्त लाभ देने के लिए अन्य सभी के साथ सौतेलापन क्यों ....?
कुछ संवर्ग ऐसे है जिसमे नौकरी करने वाले को पूरी सेवा के दौरान इक प्रोन्नति भी नहीं मिल पाती, ऐसा ही इक संवर्ग है अवर अभियंता का ... शायद ही कुछ अवर अभियंता को प्रोन्नति मिल पाती है ज्यादातर लोग अपने मूल पद से ही सेवानिवृत हो जाते है ! इनके लिए छठा वेतन आयोग भी सौतेला व्यहार कर गया ! ए सी प़ी का लालीपाप दिखाकर सारे सुबिधाओं को लुट ले गया ! देश के समग्र विकास में इस वर्ग का जो योगदान है उसे आप सभी जानते है ! किसी इन्फ्रास्ट्रक्चर के कार्य को पुरा करना इनके बिना संभव नहीं है चाहे वो सड़क हो, मकान हो, पेयजल हो, रेलवे हो या बिद्दुत ..... सब कुछ इन्ही के कंधो पर फिर भी यह वर्ग उपेछित है !
सरकार को चाहिए कि सभी को सामान अवसर देते हुए उनसे अधिक से अधिक दक्षता से कम ले , पर कुछ लोगों के अधिक अवसर देते हुए बाकि को कोई अवसर ना दे क्या यह उचित है ! फिर तो हम यही कहेंगे कि " अल्पजन हिताय बहुजन दुखाय...." !

Friday, February 25, 2011

रिश्ते

कहते है शादी वो लड्डू है जो खाए वो पछताए जो ना खाए वो भी पछताए .... पर इक बंधन है , आत्माओ का ! दो अनजान लोगों के मिलन का .... हाँ आज के दौर अक्सर नहीं होता पर कभी होता था ! वही दौर था जो रिश्तों के मुल्यों का सही मुल्यांकन करता था इक - दूसरे के भावनाओ को समझता था .... सम्मान करता था ! आज भी सब कुछ वही है वही रिश्ते- नाते पर नहीं है तो उन लोगों जैसी सोच ... आत्मीयता ... अपनापन ...! ड्रम के तीब्र शोंर के बिच ढोल की थाप न जाने कहाँ खों गयी ... सब देख रहे है पर आधुनिकता के नाम खामोश ..! यह सामजिक विकृति ही है कहाँ ले जाएगी किसी को नहीं पता ! सब तो बस दो पल का जीवन जीना चाहते है आज ही जी ले ...... कल हो ना हों !
भविष्य से इतना डर कायरता ही है ! शायद अपने आप पर भरोसा नहीं ... ऐसा नहीं है ! भरोसा आज के रोज़ बन रहे नए -नए रिश्तों पर नहीं है ! ए जाने - अनजाने रिश्ते मोबाइल सन्देश की तरह हो गए है पढ़ा फिर डिलीट कर दिया और स्पेस अगले सन्देश के लिए छोड़ दिया ! समय के साथ परिवर्तन होता है जरूरी भी है .. नहीं तो इक ही माहौल में रहते - रहते लोगों में विकृति आ जाती है पर परिवर्तन सामाजिक रीति रिवोजों , संस्कारों , आदर्शों और भावनाओं को सम्मलित करते हुए हो तो शायद रिश्तों की वह खुशबू , ताजापन व मीठास बाज़ार में मिल रहे नित नए नए मिठाइयो की तरह बरक़रार रहे ..... सामाजिक समरसता बनी रहे .. आत्मीयता बनी रहे ... हर तरफ अपनापन रहे !
हम नहीं जानते अब ऐसा हो पायेगा या नहीं पर रिश्ते की जड़ मज़बूत है तो नाव की तरह वो किनारे पहुचां ही देती है , वो नहीं देख पाती कि उसमे सफ़र करने वाला उसके भावनाओ का ख्याल रखता है या नहीं पर शायद वो देख भी नहीं सकती ....! हम तो सब देख सकते है फिर भी इक - दूसरे के भावनाओं को नहीं समझ पाते और चाहते है किनारे पहुच जाए , फिर क्या फायदा सजीव होने का ..... हमसे भली तो वो नाव निर्जीव होकर भी सजीव होने का अहसास कराती है !
आज प्यार क़ी जगह कहाँ है .... लोगों के दिल से निकल कर कहाँ चला गया ! मैंने भी आफत ले ली इक युवा जोड़ी से पूंछ बैठा .... वो बोला .. दिखता नहीं पार्कों में , झाड़ियों में ....! सब दिखता है ... सब देखते है , ऐसा हर रोज़ होता है ! शहर हो या गाव हर जगह होता है , यह भी रिश्ते है जिसमे केवल अपनाहित है ... स्वार्थ है ... विकृति है ....! नहीं है तो रिश्तों का आदर्श .... संस्कार .......!

चेहरा

जब हम इस दुनिया में आते है ... तो लोग खुशिया मनाते है ! इक मासूम चेहरा भगवान का स्वरुप होता है, निर्दोष चेहरा ना दुनिया कि समझ ना दुनियादारी ... हम बड़े होते है ये बदलता रहता है , रहता है तो केवल यादें ...... लोग भी इसी से याद रखते है ! वो ऐसा था वो वैसा था .... कल समय बिताता जायेगा ... उम्र गुज़र जाएगी.. झुर्रीया पड़ जाएँगी ! जो आज है कल नहीं रहेगा पर रहेंगी यादें ... हम ऐसा करे कि ये जो आज है चेहरा लोगों के दिल में बस जाय ..... कभी अलग ना हो वही है असली चेहरा ..... जो रहता है सदैव हम रहे ना रहे ! मेरे साथ लोगों के साथ .......