बात थी
बात थी भी नहीं
बात बस इतनी सी है
हम जानते हैं जानते वो भी है
पर उनका नज़रअन्दाज़ कर जाना
बात को बढ़ा गया…
हम जुदा तो थे नहीं
हमें जुदा कर डाला…
हममे बैर तो था नहीं
हममे दुश्मनी का बीज बो गया…
बस बात ही तो थी
शुरू होती ख़त्म हो जाती
न कटुता होती न अकेलापन
सब साथ होते ख़ुशियों के संग
चुप्पी तोड़ कर देख लो एक बार
सब अपने होंगे सबने होगा अपनापन.
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