Monday, August 15, 2022

कहकहे

 बात थी 

बात थी भी नहीं 

बात बस इतनी सी है 

हम जानते हैं जानते वो भी है 

पर उनका नज़रअन्दाज़ कर जाना

बात को बढ़ा गया…

हम जुदा तो थे नहीं 

हमें जुदा कर डाला…

हममे बैर तो था नहीं 

हममे दुश्मनी का बीज बो गया…

बस बात ही तो थी

शुरू होती ख़त्म हो जाती 

न कटुता होती न अकेलापन 

सब साथ होते ख़ुशियों के संग

चुप्पी तोड़ कर देख लो एक बार 

सब अपने होंगे सबने होगा अपनापन.

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